चल चलते है फिरसे वहा,
वो शोकी हवा ओ मे,
वो बादल सी घटाओ मे,
वो शबनमी राहों मे,
वो धुँद की बाहो मे.
चल वही चलते है,
दिल की धड़कन को सुनते है,
एक दूसरे का हाथ थामकर,
पल पल को महसूस करते है.
चल चलते है वहा
जहा बादल छूकर गुजरा था,
जहा बारिश हम पे बरसी थी,
बहुत सी अनकही बातें,
खामोशी की ज़ुबान से,
हमारे दिल मे उतरी थी.
चल चलते है फिरसे वही,
सेहेर-ए-मोहब्बत की ज़मीन पे,
जहा नज़र सिर्फ़ तू आती है,
जहा फ़िज़ा मे खुशबू सिर्फ़ हमारी है,
ना अपनी खबर तुम्हे कुछ होती है,
ना अपना पता मूज़े कुछ होता है.
चल चलते है वही फिरसे,
जहा दुनिया दीवारों मे क़ैद होती है,
जहा खामोशी की ज़ुबान धड़कन होती है,
जहा हक़ीक़त कोसो दूर होती है,
जहा मुहब्बत सिर्फ़ मुहब्बत होती है.
Tuesday, August 14, 2012
Thursday, August 9, 2012
कल मैने उसकी एक झलक देखी
कल मैने उसकी एक झलक देखी,
बीच राहो मे कही कुछ गुनगुना रही थी,
देख रहा था मैं उसको इधर उधर,
मगर वो लूका छिपी खेल मुस्कुरा रही थी,
आख़िर मिल ही गयी कुछ अरसे बाद,
देखा तो बाह फैलाए बुला रही थी,
हम दोनो थे खफा खफा एक दूसरे से अबतक,
कुछ मैं बता रहा था, कुछ वो बता रही थी,
सुलझा कर सब धागो को,
मिला मेरे दिल को क़रार,
मैं सवर रहा था उसकी आँखों मे,
और वो थपकी दे सुला रही थी,
जब पूछा मैने उससें,
तूने मुझे ये दर्द क्यू दिया,
वो मुस्कुराइ और बोली,
मैं ज़िंदगी हू, जीना सीखा रही थी
बीच राहो मे कही कुछ गुनगुना रही थी,
देख रहा था मैं उसको इधर उधर,
मगर वो लूका छिपी खेल मुस्कुरा रही थी,
आख़िर मिल ही गयी कुछ अरसे बाद,
देखा तो बाह फैलाए बुला रही थी,
हम दोनो थे खफा खफा एक दूसरे से अबतक,
कुछ मैं बता रहा था, कुछ वो बता रही थी,
सुलझा कर सब धागो को,
मिला मेरे दिल को क़रार,
मैं सवर रहा था उसकी आँखों मे,
और वो थपकी दे सुला रही थी,
जब पूछा मैने उससें,
तूने मुझे ये दर्द क्यू दिया,
वो मुस्कुराइ और बोली,
मैं ज़िंदगी हू, जीना सीखा रही थी
Thursday, August 2, 2012
यहा एक एक पल गिन गिन गुझर राहा है
यहा एक एक पल गिन गिन गुझर राहा है,
राह मे तेरे दिल तील मिल हो रहा है,
मिलने की आरजु है सनम तुझसे इतनी,
पर ये आसमान टपक टपक के मेरा रास्ता भिगो रहा है
राह मे तेरे दिल तील मिल हो रहा है,
मिलने की आरजु है सनम तुझसे इतनी,
पर ये आसमान टपक टपक के मेरा रास्ता भिगो रहा है
Friday, July 27, 2012
पिना चाहु तो झेहेर नही है
पिना चाहु तो झेहेर नही है,
खोना चाहु तो शेहेर नही है,
जिना चाहु तेरे प्यार मे सनम,
तो तू हस के बोली मेरे पास समय नही है
खोना चाहु तो शेहेर नही है,
जिना चाहु तेरे प्यार मे सनम,
तो तू हस के बोली मेरे पास समय नही है
Wednesday, July 4, 2012
पूनम की रात है
पूनम की रात है,
चाँद भी मदहोश है,
आके थाम लो मुझे,
खो रहा मेरा होश है,
मिलन की है दस्तक,
धड़कनो की ज़ुबान है,
गा रही है ज़मीन,
सुन रहा ये जहाँ है,
गुण गुना रही है सदा,
खिल उठा समा है,
प्यासो की बस्ती मे यारो,
आज बरस उठा आसमान है.
कह रही है धरती,
कह रही ये फ़िज़ा है,
रुक जाओ इस बस्ती मे,
जो दिया ज़िंदगी का वास्ता है
चाँद भी मदहोश है,
आके थाम लो मुझे,
खो रहा मेरा होश है,
मिलन की है दस्तक,
धड़कनो की ज़ुबान है,
गा रही है ज़मीन,
सुन रहा ये जहाँ है,
गुण गुना रही है सदा,
खिल उठा समा है,
प्यासो की बस्ती मे यारो,
आज बरस उठा आसमान है.
कह रही है धरती,
कह रही ये फ़िज़ा है,
रुक जाओ इस बस्ती मे,
जो दिया ज़िंदगी का वास्ता है
Monday, July 2, 2012
तस्वीर है तेरी वो
तस्वीर है तेरी वो,
जिसे सिने से लगा रखा है,
अंधेरे इस दिल मे,
तेरे यादों का चिराग जला रखा है,
मुलाक़ात की उम्मीद ने,
मेरे इस दिल को बचा रखा है,
तेरी आने की खुशी है इतनी,
के दिल के सेहरा को हमने
गुलशन बना रखा है,
इंतजार ने तेरे,
इस दिल को तड़पा रखा है,
जल्दी से लौट आओ,
राहो मे हमने पलकों को
अपने बीचाए रखा है,
लम्हा लम्हा तेरी याद मे,
खुदको उल्ज़ा रखा है,
दिल इस दर्द को सह रहा है इतना,
के दर्द का नाम हमने
अब दवा रखा है
जिसे सिने से लगा रखा है,
अंधेरे इस दिल मे,
तेरे यादों का चिराग जला रखा है,
मुलाक़ात की उम्मीद ने,
मेरे इस दिल को बचा रखा है,
तेरी आने की खुशी है इतनी,
के दिल के सेहरा को हमने
गुलशन बना रखा है,
इंतजार ने तेरे,
इस दिल को तड़पा रखा है,
जल्दी से लौट आओ,
राहो मे हमने पलकों को
अपने बीचाए रखा है,
लम्हा लम्हा तेरी याद मे,
खुदको उल्ज़ा रखा है,
दिल इस दर्द को सह रहा है इतना,
के दर्द का नाम हमने
अब दवा रखा है
Tuesday, June 26, 2012
ये किताबों के किस्से
ये किताबों के किस्से,
ये अफ़सानो की बातें,
यादो मे भीगी हुई,
ये जुदाई की रातें.
ये उलफत की कश्ती,
ये किनारो के वादे,
जसबात से भरी हुई,
ये काग़ज़-शियाही की मुलाक़ाते.
फलसफा ये बातें,
या कोई नज़्म पुरानी,
है ये हक़ीकत,
या बेनाम कहानी.
क्या लिखना इन्हे,
क्या महफूज़ करना,
हमारी दिल की बाते है,
इन्हे सिर्फ़ महसूस करना.
ये अफ़सानो की बातें,
यादो मे भीगी हुई,
ये जुदाई की रातें.
ये उलफत की कश्ती,
ये किनारो के वादे,
जसबात से भरी हुई,
ये काग़ज़-शियाही की मुलाक़ाते.
फलसफा ये बातें,
या कोई नज़्म पुरानी,
है ये हक़ीकत,
या बेनाम कहानी.
क्या लिखना इन्हे,
क्या महफूज़ करना,
हमारी दिल की बाते है,
इन्हे सिर्फ़ महसूस करना.
Saturday, June 23, 2012
जी कर रहा है तेरी तस्वीर को चूम लू आज
जी कर रहा है तेरी तस्वीर को चूम लू आज,
प्यार की इस बरसात मे झूम लू आज,
ना जाने किस घड़ी सास रुक जाए मेरी,
चाहत के वदिओ मे थोडा घूम लू आज.
पता नही क्यू अब ये दिल बात नही मान रहा,
मुश्किल हो रहा है अब इन धड़कनो को संभालना,
जी कर रहा है तेरी तस्वीर को ही हमसफ़र मान लू आज
सारी बाते इस दिल की तेरे तस्वीर से ही करलू आज.
आज मेरे दिल ने तेरे तस्वीर को दे दिया है वास्ता प्यार का,
तुझे निकल कर आना होगा जो वादा दिया है दीदार का,
जी कर रहा है मेरी रूह को तेरे रूह के हवाले कर दू आज,
काँधे पर सिर रखकर उसके थोड़ी देर सोलू आज.
प्यार की इस बरसात मे झूम लू आज,
ना जाने किस घड़ी सास रुक जाए मेरी,
चाहत के वदिओ मे थोडा घूम लू आज.
पता नही क्यू अब ये दिल बात नही मान रहा,
मुश्किल हो रहा है अब इन धड़कनो को संभालना,
जी कर रहा है तेरी तस्वीर को ही हमसफ़र मान लू आज
सारी बाते इस दिल की तेरे तस्वीर से ही करलू आज.
आज मेरे दिल ने तेरे तस्वीर को दे दिया है वास्ता प्यार का,
तुझे निकल कर आना होगा जो वादा दिया है दीदार का,
जी कर रहा है मेरी रूह को तेरे रूह के हवाले कर दू आज,
काँधे पर सिर रखकर उसके थोड़ी देर सोलू आज.
Friday, June 22, 2012
फासला इतना रखनेकी ज़रूरत क्या थी
फासला इतना रखने की ज़रूरत क्या थी,
मुझसे जुदा होने की ज़रूरत क्या थी,
अब तो मुझसे दूर बैठे हो,
पर पहले मुज़से नज़रे मिलाने की ज़रूरत क्या थी.
मेरा साथ छोड़ जाने की ज़िद्द क्या थी,
सब रिश्ते नाते तोड़ जाने की ज़िद्द क्या थी,
हम तो पहले ही तन्हाई से लढ रहे थे,
हमारा हाथ थामने की ज़िद्द क्या थी.
मेरा गम दुनिया को बताने की ज़रूरत क्या थी,
चौराहे मे मेरा हाल बताने की ज़रूरत क्या थी,
आपके नाम से तो हम पहले ही बदनाम थे,
और ये अंजाम जोड़ने की ज़रूरत क्या थी
मुझसे जुदा होने की ज़रूरत क्या थी,
अब तो मुझसे दूर बैठे हो,
पर पहले मुज़से नज़रे मिलाने की ज़रूरत क्या थी.
मेरा साथ छोड़ जाने की ज़िद्द क्या थी,
सब रिश्ते नाते तोड़ जाने की ज़िद्द क्या थी,
हम तो पहले ही तन्हाई से लढ रहे थे,
हमारा हाथ थामने की ज़िद्द क्या थी.
मेरा गम दुनिया को बताने की ज़रूरत क्या थी,
चौराहे मे मेरा हाल बताने की ज़रूरत क्या थी,
आपके नाम से तो हम पहले ही बदनाम थे,
और ये अंजाम जोड़ने की ज़रूरत क्या थी
दूर गये हो जबसे यह राह रुला देती है
दूर गये हो जबसे यह राह रुला देती है,
हमको तो गुजरनेवाली हर रात रुला देती है,
वैसे तो हम दिल के बड़े पक्के है,
क्या करे बस आपकी ये याद रुला देती है
हमको तो गुजरनेवाली हर रात रुला देती है,
वैसे तो हम दिल के बड़े पक्के है,
क्या करे बस आपकी ये याद रुला देती है
ज़रा देखलू तुम्हारे आँखों मे
ज़रा देखलू तुम्हारे आँखों मे,
ये ख्वाब किसके है,
ये दिल मे बह रहे अरमान किसके है,
तुम तो कह रही थी,
इस दिल से आज तक कोई नही गुज़रा,
तो फिर बताओ ये पैरो के निशान किसके है.
Thursday, June 21, 2012
पास आके मेरे
पास आके मेरे,
बाहो मे आओ किसी दिन,
क्यो हमेशा गरजते हो,
बरस जाओ किसी दिन.
कहानी अपने दिल की,
सुना जाओ किसी दिन,
दर पर मेरे आके,
जाना भूल जाओ किसी दिन
बाहो मे आओ किसी दिन,
क्यो हमेशा गरजते हो,
बरस जाओ किसी दिन.
कहानी अपने दिल की,
सुना जाओ किसी दिन,
दर पर मेरे आके,
जाना भूल जाओ किसी दिन
याद आ रहा है वो गुनाह
याद आ रहा है वो गुनाह,
जो हमने कभी किया था,
पेहला इश्क़ किया था,
आखरी तुमसे किया था.
जो हमने कभी किया था,
पेहला इश्क़ किया था,
आखरी तुमसे किया था.
Wednesday, June 20, 2012
मुलाक़ात का दिन आ रहा है
मुलाक़ात का दिन आ रहा है,
क़रीब उनके जाने का दिन आ रहा है,
जो दिल ने कहा है, जो दिल ने सुना है,
वो सब एहसास दिलाने का दिन आ रहा है.
अब ये दिल चीर के आपके कदमो मे रखदू,
के जान लूटाने का दिन आ रहा है,
छा रही है मदहोशी इस कदर,
के अब निगाहे चुराने का दिन आ रहा है.
यह फ़िज़ाए झूमती फिर रही,
के सावन मे गुल खिलने का दिन आ रहा है,
बहुत हुई अब दिलोकी लुक्का छिपी,
के अब बादलो से बेपर्दा होने का दिन आ रहा है.
क़रीब उनके जाने का दिन आ रहा है,
जो दिल ने कहा है, जो दिल ने सुना है,
वो सब एहसास दिलाने का दिन आ रहा है.
अब ये दिल चीर के आपके कदमो मे रखदू,
के जान लूटाने का दिन आ रहा है,
छा रही है मदहोशी इस कदर,
के अब निगाहे चुराने का दिन आ रहा है.
यह फ़िज़ाए झूमती फिर रही,
के सावन मे गुल खिलने का दिन आ रहा है,
बहुत हुई अब दिलोकी लुक्का छिपी,
के अब बादलो से बेपर्दा होने का दिन आ रहा है.
कभी आपको हसाते हुए मर जाते है
कभी आपको हसाते हुए मर जाते है,
कभी आपको मनाते हुए मर जाते है,
हम सूखे हुए झील के वो मेंढक है,
जो रिश्ता निभाते हुए मर जाते है.
उनके ही कत्ल का इल्ज़ाम वो हमारे सिर लगाते है,
जो हमे जलाने आए थे और खुद जलते हुए मर जाते है,
यह इश्क़ की कहानी तो ऐसे ही नही मिटती ए मेरे दोस्त,
यहा रोज़ कोई आशिक़ अपना किरदार निभाते हुए मर जाते है
कभी आपको मनाते हुए मर जाते है,
हम सूखे हुए झील के वो मेंढक है,
जो रिश्ता निभाते हुए मर जाते है.
उनके ही कत्ल का इल्ज़ाम वो हमारे सिर लगाते है,
जो हमे जलाने आए थे और खुद जलते हुए मर जाते है,
यह इश्क़ की कहानी तो ऐसे ही नही मिटती ए मेरे दोस्त,
यहा रोज़ कोई आशिक़ अपना किरदार निभाते हुए मर जाते है
Monday, June 18, 2012
वापस आजाओ के ज़िंदगी कम है
वापस आजाओ के ज़िंदगी कम है,
तुम नही यहा तो ख़ुशनसीबी कम है,
यू रहती थी हमेशा साथ मेरे साये की तरह,
अब तक समझ नही पाया,
चले गये आप या यहा रोशनी कम है.
तुम नही यहा तो ख़ुशनसीबी कम है,
यू रहती थी हमेशा साथ मेरे साये की तरह,
अब तक समझ नही पाया,
चले गये आप या यहा रोशनी कम है.
Friday, June 15, 2012
धड़कने है किसी और की
धड़कने है किसी और की,
यह दिल किसी और का है,
लगता हैं मेरे बदन का
हर एक पुर्जा किसी और का हैं.
एक और हाथ हैं अंजान,
महसूस हुआ अभी जो,
हम तुम तो शायद कठपुतलिया है,
यह खेल तो किसी और का है.
यह जो पाव है मेरे
खुदा करे और किसी के ना हो,
चल रहा हूँ मैं,
और लक्ष क्या किसी और का है.
अश्को से भर रहा हूँ
मैं ज़िंदगी का सफ़र,
इतने बरस के बाद भी
यह अश्को का दरिया किसी और का है.
किस बुनियाद से ये कहें की
यह ज़ुबान हमारी है,
लज्ब शायद मेरे हो,
ल़हेजा तो किसी और का है
यह दिल किसी और का है,
लगता हैं मेरे बदन का
हर एक पुर्जा किसी और का हैं.
एक और हाथ हैं अंजान,
महसूस हुआ अभी जो,
हम तुम तो शायद कठपुतलिया है,
यह खेल तो किसी और का है.
यह जो पाव है मेरे
खुदा करे और किसी के ना हो,
चल रहा हूँ मैं,
और लक्ष क्या किसी और का है.
अश्को से भर रहा हूँ
मैं ज़िंदगी का सफ़र,
इतने बरस के बाद भी
यह अश्को का दरिया किसी और का है.
किस बुनियाद से ये कहें की
यह ज़ुबान हमारी है,
लज्ब शायद मेरे हो,
ल़हेजा तो किसी और का है
कोई किस्सा सुन कर क्या करना
कोई किस्सा सुन कर क्या करना,
यू शब्दो को बढ़ाकर क्या करना,
तुम मेरे हो और मेरे रहोगे,
ये सब दुनिया को बताके क्या करना.
तुम साथ निभाओ चाहत से,
ये रस्मे निभके क्या करना,
दिल मे बसालीया है अबके जो,
अब घर पर जाके क्या करना
यू शब्दो को बढ़ाकर क्या करना,
तुम मेरे हो और मेरे रहोगे,
ये सब दुनिया को बताके क्या करना.
तुम साथ निभाओ चाहत से,
ये रस्मे निभके क्या करना,
दिल मे बसालीया है अबके जो,
अब घर पर जाके क्या करना
मुझे तुम बड़ा याद आती हो
कुदरत का सितारों पर,
रोशनी का नजारो पर,
उदासी का गुलज़ारो पर,
कही वीरान गलियो मे,
कही सुनसान सड़को पर,
कभी इन प्यासी निगाहों मे,
कभी इन बेज़ुबान होटो पर,
आपकी याद चिप चिपके,
आहट इस दिल पे करती है,
यह पलके मृग बन जाती है,
आँखों से मोति बरसने लगते है,
तब हम पलको को झुकाते है,
झूटा झूटा मुस्कुराते है,
यहा तो इतना ही कहता हू,
आप मुझे इतना क्यू सताती हो,
मेरी जान तुम,
यारा मुझे तुम बड़ा याद आती हो,
मुझे तुम बड़ा याद आती हो
रोशनी का नजारो पर,
उदासी का गुलज़ारो पर,
कही वीरान गलियो मे,
कही सुनसान सड़को पर,
कभी इन प्यासी निगाहों मे,
कभी इन बेज़ुबान होटो पर,
आपकी याद चिप चिपके,
आहट इस दिल पे करती है,
यह पलके मृग बन जाती है,
आँखों से मोति बरसने लगते है,
तब हम पलको को झुकाते है,
झूटा झूटा मुस्कुराते है,
यहा तो इतना ही कहता हू,
आप मुझे इतना क्यू सताती हो,
मेरी जान तुम,
यारा मुझे तुम बड़ा याद आती हो,
मुझे तुम बड़ा याद आती हो
Thursday, June 14, 2012
मुझसे मिला लीजिए अपने दिल को और प्यार कीजिए
मुझसे मिला लीजिए अपने दिल को और प्यार कीजिए,
किसी सुहाने वक़्त मे हो सके तो इक़्क़रार कीजिए,
हाय ये मुस्कुराना कैसा, हाय ये शरमाना कैसा,
निगाहो से घायल कर मुझे मार जाना कैसा,
पल्को की छाव मे, इन क़ातिल हवओ मे,
मेरी इस जिंदगी को आबाद कीजिए.
मुझसे मिला लीजिए अपने दिल को और प्यार कीजिए.
आती रही बहारें, जाती रही बहारें,
कबसे जी रहे है इंतेजार मे तुम्हारें,
छा रही है मदहोशी,
कुछ कुछ कह रही है ज़िंदगी,
जीने की उमँगो को मेरे अब तो करार दीजिए.
मुझसे मिला लीजिए अपने दिल को और प्यार कीजिए
दिल मे बसा लो प्यार-ए-खुदा को,
बक्ष दो जन्नत अपने इस मेहेरबा को,
मौसम हसी है, रातें जवान है,
अब खुद को ना यू बंदिशो मे क़ैद कीजिए.
मुझसे मिला लीजिए अपने दिल को और प्यार कीजिए
किसी सुहाने वक़्त मे हो सके तो इक़्क़रार कीजिए,
हाय ये मुस्कुराना कैसा, हाय ये शरमाना कैसा,
निगाहो से घायल कर मुझे मार जाना कैसा,
पल्को की छाव मे, इन क़ातिल हवओ मे,
मेरी इस जिंदगी को आबाद कीजिए.
मुझसे मिला लीजिए अपने दिल को और प्यार कीजिए.
आती रही बहारें, जाती रही बहारें,
कबसे जी रहे है इंतेजार मे तुम्हारें,
छा रही है मदहोशी,
कुछ कुछ कह रही है ज़िंदगी,
जीने की उमँगो को मेरे अब तो करार दीजिए.
मुझसे मिला लीजिए अपने दिल को और प्यार कीजिए
दिल मे बसा लो प्यार-ए-खुदा को,
बक्ष दो जन्नत अपने इस मेहेरबा को,
मौसम हसी है, रातें जवान है,
अब खुद को ना यू बंदिशो मे क़ैद कीजिए.
मुझसे मिला लीजिए अपने दिल को और प्यार कीजिए
Wednesday, June 13, 2012
चलो मुहब्बत हम कर लेते है
चलो मुहब्बत हम कर लेते है,
अब अपने दिल को एक कर लेते है,
चलो मुहब्बत हम कर लेते है.
इस मुहब्बत की वादी मे,
आओ हम दो दो कदम चल लेते है,
इन हाथों की लकीरो को अब हम एक कर लेते है,
आओ चलो मुहब्बत हम कर लेते हैं.
चलो खो जाते है इन खाबो मे,
जाकर वहा रिश्तो को जोड़ लेते है,
चाहत के इन रंगों मे हम,
चलो अपना सपना रंग लेते हैं,
आओ चलो हम मुहब्बत कर लेते हैं.
चलो रह जाते है वो आशियाने मे,
जहा प्यार के फरिश्ते रहते है,
वफ़ा के इन धागो से अब हम अपने जीवन बून लेते है.
आओ चलो मुहब्बत हम कर लेते है,
आओ चलो मुहब्बत हम कर लेते है
अब अपने दिल को एक कर लेते है,
चलो मुहब्बत हम कर लेते है.
इस मुहब्बत की वादी मे,
आओ हम दो दो कदम चल लेते है,
इन हाथों की लकीरो को अब हम एक कर लेते है,
आओ चलो मुहब्बत हम कर लेते हैं.
चलो खो जाते है इन खाबो मे,
जाकर वहा रिश्तो को जोड़ लेते है,
चाहत के इन रंगों मे हम,
चलो अपना सपना रंग लेते हैं,
आओ चलो हम मुहब्बत कर लेते हैं.
चलो रह जाते है वो आशियाने मे,
जहा प्यार के फरिश्ते रहते है,
वफ़ा के इन धागो से अब हम अपने जीवन बून लेते है.
आओ चलो मुहब्बत हम कर लेते है,
आओ चलो मुहब्बत हम कर लेते है
करीब लाकर दूर करते हो
करीब लाकर दूर करते हो,
ज़ुबान से इस दिल को चूर करते हो,
लगता है तुम्हे बस प्यारी है अपने कलेजे की ठंडक,
इसीलिए मेरी मुहब्बत को गैर केह्ते हो.
ज़ुबान से इस दिल को चूर करते हो,
लगता है तुम्हे बस प्यारी है अपने कलेजे की ठंडक,
इसीलिए मेरी मुहब्बत को गैर केह्ते हो.
पता नही लोग क्यू मिट्टी पे चलने से डरते हैं
पता नही लोग क्यू मिट्टी पे चलने से डरते हैं,
क्या उन्हे नही पता आख़िर मे हम तो मिट्टी मे मिलते हैं
क्या उन्हे नही पता आख़िर मे हम तो मिट्टी मे मिलते हैं
हमको आपकी नज़रों ने लूटा
हमको आपकी नज़रों ने लूटा,
जैसे माज़ी को कीनारो ने लूटा,
आप तो कापते हो कसम के नाम से,
हमे तो आपकी कसम देकर हज़ारो ने लूटा.
जैसे माज़ी को कीनारो ने लूटा,
आप तो कापते हो कसम के नाम से,
हमे तो आपकी कसम देकर हज़ारो ने लूटा.
आपको बताना क्या
आपको बताना क्या,
आपसे छुपाना क्या,
मुहब्बत है ये और कुछ नही,
अब खुद को समझाना क्या,
बाहे खोल कर लिपट जाउ,
अब तो आपसे शरमाना क्या.
आपसे छुपाना क्या,
मुहब्बत है ये और कुछ नही,
अब खुद को समझाना क्या,
बाहे खोल कर लिपट जाउ,
अब तो आपसे शरमाना क्या.
Wednesday, June 6, 2012
अपनी यादें अपनी बातें
अपनी यादें अपनी बातें
लेकर जाना भूल गये,
जानेवाले जल्दी मे थे शायद
मेरी रूह ले जाना भूल गये
लेकर जाना भूल गये,
जानेवाले जल्दी मे थे शायद
मेरी रूह ले जाना भूल गये
कसूर तो था उनके अदा ओ का है
कसूर तो था उनके अदा ओ का है,
जो हम उनसे प्यार कर बैठे,
हमने तो चुप रहने की कसम खाई थी,
बेवफा ज़ुबान इज़हार कर बैठे
जो हम उनसे प्यार कर बैठे,
हमने तो चुप रहने की कसम खाई थी,
बेवफा ज़ुबान इज़हार कर बैठे
यार छूट जायें तो कुछ अच्छा नही लगता
यार छूट जायें तो कुछ अच्छा नही लगता,
सहारा टूट जायें तो कुछ अच्छा नही लगता,
यारा तुम तो बहारों मे खिले रंग बे रंग फूल हो,
मगर फूल सुख जायें तो कुछ अच्छा नही लगता
सहारा टूट जायें तो कुछ अच्छा नही लगता,
यारा तुम तो बहारों मे खिले रंग बे रंग फूल हो,
मगर फूल सुख जायें तो कुछ अच्छा नही लगता
ये बारिश, ये तितली
ये बारिश, ये तितली,
ये दरिया, ये मौसम,
ना जाने कितनो से मुहब्बत थी,
तेरे आने से पहले
ये दरिया, ये मौसम,
ना जाने कितनो से मुहब्बत थी,
तेरे आने से पहले
रहती हो रोजाना अब ससों मे तुम
रहती हो रोजाना अब ससों मे तुम
खाबो मे तुम ख़यालो मे तुम,
जब भी सोचते है हम कुछ लिखेगे,
लफ़्ज़ों मे आ जाते हो तुम सिर्फ़ तुम
खाबो मे तुम ख़यालो मे तुम,
जब भी सोचते है हम कुछ लिखेगे,
लफ़्ज़ों मे आ जाते हो तुम सिर्फ़ तुम
खुदा तू एक बार ऐसा सपना सज़ा दे
खुदा तू एक बार ऐसा सपना सज़ा दे,
सपने मे उसे तू मेरा अपना बना दे,
कितना चाहता हू उसे तू तो जनता है ना,
जाग ना पाउ इस सपने से एसा सुला दे
सपने मे उसे तू मेरा अपना बना दे,
कितना चाहता हू उसे तू तो जनता है ना,
जाग ना पाउ इस सपने से एसा सुला दे
Monday, June 4, 2012
यूही राह चलते मुलाकात सी हो गयी
यूही राह चलते मुलाकात सी हो गयी,
दोस्ती करने चले थे और चाहत सी हो गयी.
जब तू ना हो पास तो खूद से उलझता हू,
अपने वजूद को तलाशता रहता हू,
मेरे पास आओ तो जीलु दो पल मैं,
क्या करू मूज़े तेरी आदत सी हो गयी.
मैं तुम्हे इस कदर चाहता हू,
हर एक सास को तुम्हारी अमानत मानता हू,
मैं नही जानता ज़िंदगी क्या है,
पर तुज़े चाहने के लिए लंबी उमर माँगता हू.
दोस्ती करने चले थे और चाहत सी हो गयी.
जब तू ना हो पास तो खूद से उलझता हू,
अपने वजूद को तलाशता रहता हू,
मेरे पास आओ तो जीलु दो पल मैं,
क्या करू मूज़े तेरी आदत सी हो गयी.
मैं तुम्हे इस कदर चाहता हू,
हर एक सास को तुम्हारी अमानत मानता हू,
मैं नही जानता ज़िंदगी क्या है,
पर तुज़े चाहने के लिए लंबी उमर माँगता हू.
खुदा तू एक बार ऐसा सपना सज़ा दे
खुदा तू एक बार ऐसा सपना सज़ा दे,
सपने मैं उसे तू मेरा बना दे,
कितना चाहता हू उसे तू तो जनता है ना,
जाग ना पाउ इस सपने से ऐसी गहरी नींद सुला दे
सपने मैं उसे तू मेरा बना दे,
कितना चाहता हू उसे तू तो जनता है ना,
जाग ना पाउ इस सपने से ऐसी गहरी नींद सुला दे
Friday, June 1, 2012
खामोश रहती हो तुम
खामोश रहती हो तुम,
जब पास मेरे होती हो,
होले से नज़र चुरा लेती हो तुम,
जब चुप चुपके इनायत करती हो.
लबो को करोगी चुप,
सास भी रोक लोगी,
धड़कनो का करोगी क्या?,
क्यू की आहट तो वहिसे होगी.
हाँ, हम करते है प्यार आपसे,
और आप ही हमारे फरिश्ते है,
अब तो पहचान जाइए,
यह तो हमारे रूह के रिश्ते है
जब पास मेरे होती हो,
होले से नज़र चुरा लेती हो तुम,
जब चुप चुपके इनायत करती हो.
लबो को करोगी चुप,
सास भी रोक लोगी,
धड़कनो का करोगी क्या?,
क्यू की आहट तो वहिसे होगी.
हाँ, हम करते है प्यार आपसे,
और आप ही हमारे फरिश्ते है,
अब तो पहचान जाइए,
यह तो हमारे रूह के रिश्ते है
यह दिल संभल गया है
यह दिल संभल गया है,
फिर भी तेरी सासो की खुशबू कम नही होती,
मेरी मज़िल नही है तू,
फिर भी तुझे चाहने की कशिश कम नही होती.
फिर भी तेरी सासो की खुशबू कम नही होती,
मेरी मज़िल नही है तू,
फिर भी तुझे चाहने की कशिश कम नही होती.
Thursday, May 31, 2012
आप हमारी कमज़ोरी है
आप हमारी कमज़ोरी है,
यह ना बता पाना हमारी मजबूरी है,
आप क्यू नही समझते मेरी खामोशी,
खामोशी को ज़ुबान देना ज़रूरी है.
यह ना बता पाना हमारी मजबूरी है,
आप क्यू नही समझते मेरी खामोशी,
खामोशी को ज़ुबान देना ज़रूरी है.
तुमसे ये जुदाई अब बेकरार करती हैं
तुमसे ये जुदाई अब बेकरार करती हैं,
ये दूरी हमे अब लाचार करती हैं,
अब के जो मिलोगे तो आँखें मेरी पढ़लो,
हम खुद कैसे कहे की हम आपसे कितना प्यार करते हैं
ये दूरी हमे अब लाचार करती हैं,
अब के जो मिलोगे तो आँखें मेरी पढ़लो,
हम खुद कैसे कहे की हम आपसे कितना प्यार करते हैं
आज कुछ तूफ़ानी होने दो
आज कुछ तूफ़ानी होने दो,
अपने काले घने ज़ुल्फोन की घटाओ से,
एक घंटा सावन होने दो,
आज कुछ तूफ़ानी होने दो.
आज कुछ तूफ़ानी होने दो,
अपने कंगन की खनक से,
आसमान से बीजूरिया गिरने दो,
आज कुछ तूफ़ानी होने दो.
आज कुछ तूफ़ानी होने दो,
अपने पायल की छमक से,
इन हवाओ मे मिट्टी की महेक को झुमने दो,
आज कुछ तूफ़ानी होने दो.
आज कुछ तूफ़ानी होने दो,
अपनी होठों की लाली से एक घुट पिलाकर,
इस समा को मधहोश होने दो,
आज कुछ तूफ़ानी होने दो.
अपने काले घने ज़ुल्फोन की घटाओ से,
एक घंटा सावन होने दो,
आज कुछ तूफ़ानी होने दो.
आज कुछ तूफ़ानी होने दो,
अपने कंगन की खनक से,
आसमान से बीजूरिया गिरने दो,
आज कुछ तूफ़ानी होने दो.
आज कुछ तूफ़ानी होने दो,
अपने पायल की छमक से,
इन हवाओ मे मिट्टी की महेक को झुमने दो,
आज कुछ तूफ़ानी होने दो.
आज कुछ तूफ़ानी होने दो,
अपनी होठों की लाली से एक घुट पिलाकर,
इस समा को मधहोश होने दो,
आज कुछ तूफ़ानी होने दो.
Wednesday, May 30, 2012
मुझे तुम प्यार प्यार करके
मुझे तुम प्यार प्यार करके ना बर्बाद कर देना,
मुझे खुदमे समा कर मेरी ज़िंदगी आबाद कर देना,
अब तो बस चुके हो तुम मेरे मन के मंदिर मे,
पर खुदा की तरह तू भी मुझे नज़र अंदाज़ ना करदेना
मुझे खुदमे समा कर मेरी ज़िंदगी आबाद कर देना,
अब तो बस चुके हो तुम मेरे मन के मंदिर मे,
पर खुदा की तरह तू भी मुझे नज़र अंदाज़ ना करदेना
जी चाहता है
जी चाहता है तेरे सारे खत जला दू,
तेरे साथ गुज़ारा हर वक़्त मिटा दू,
पर समज नही आता कैसे मेरे दिलसे तेरा नाम हटा दू.
अपनी सारी नींदे उड़ादू
और अपने सारे सपने जला दू,
पर यह बता कैसे अपनी आखोंसे तेरा अश्र सूखा दू.
जी करता हैं तेरी हर बात भूलादू,
खुशी को अपना दर्द अपना दू,
पर यह तो बता उन चन लम्हों की याद कैसे मिटा दू
तेरे साथ गुज़ारा हर वक़्त मिटा दू,
पर समज नही आता कैसे मेरे दिलसे तेरा नाम हटा दू.
अपनी सारी नींदे उड़ादू
और अपने सारे सपने जला दू,
पर यह बता कैसे अपनी आखोंसे तेरा अश्र सूखा दू.
जी करता हैं तेरी हर बात भूलादू,
खुशी को अपना दर्द अपना दू,
पर यह तो बता उन चन लम्हों की याद कैसे मिटा दू
दिल कितना अजीब है
दिल कितना अजीब है,
जानता है के पल दो पल का साथ है तेरा मेरा,
फिर भी ज़िंदगी की फरियाद करता रेहता है.
जानता है के पल दो पल का साथ है तेरा मेरा,
फिर भी ज़िंदगी की फरियाद करता रेहता है.
और कुछ नही
ज़िंदगी मे है उम्मिदो की नहर और कुछ नही,
दिल मैं गिरा हैं दर्द का कहर ओर कुछ नही.
मुझे भी उजाले मे जीने का मंन करता है,
इस्स आबो हवा मे ढल जाने को दिल करता है,
पर अंधेरो मे है मेरी डगर ओर कुछ नही
अब दिल मचल मचल कर गाता है,
बेबसी को हटाकर प्यार की धुन सुनता है,
पर यादों की बेबसी चुरा ले जाती है मेरे लबोसे स्वर और कुछ नही.
मन तिनका बन आशिया बनाने का सपना सजाता है,
तूज़ संग हर लम्हा गुजरनेका सपना संजोता है,
पर बदकीस्मती जला जाती है मेरे सपनो का घर और कुछ नही
इन सबका दोष मैं किसको दू,
तेरी हैवान नज़र या किस्मत को दू,
ज़िंदगी के अनचाहे आलम के इल्ज़ाम लेता हूँ अपने सिर और कुछ नही
दिल मैं गिरा हैं दर्द का कहर ओर कुछ नही.
मुझे भी उजाले मे जीने का मंन करता है,
इस्स आबो हवा मे ढल जाने को दिल करता है,
पर अंधेरो मे है मेरी डगर ओर कुछ नही
अब दिल मचल मचल कर गाता है,
बेबसी को हटाकर प्यार की धुन सुनता है,
पर यादों की बेबसी चुरा ले जाती है मेरे लबोसे स्वर और कुछ नही.
मन तिनका बन आशिया बनाने का सपना सजाता है,
तूज़ संग हर लम्हा गुजरनेका सपना संजोता है,
पर बदकीस्मती जला जाती है मेरे सपनो का घर और कुछ नही
इन सबका दोष मैं किसको दू,
तेरी हैवान नज़र या किस्मत को दू,
ज़िंदगी के अनचाहे आलम के इल्ज़ाम लेता हूँ अपने सिर और कुछ नही
Tuesday, May 29, 2012
मैने जब दिल पे लिखा तेरा नाम
मैने जब दिल पे लिखा तेरा नाम,
मेरा दिल प्यार की ज़ुबान हो गया,
तूने इतना जो कीया ऐतबार,
मैं तो खिलकर गुलाब हो गया.
अब तो बस्ती मे माशहूर है,
तेरा मेरा यह अफ़साना,
तू हैं मेरा प्यार,
और मैं तेरा दीवाना.
मेरा दिल प्यार की ज़ुबान हो गया,
तूने इतना जो कीया ऐतबार,
मैं तो खिलकर गुलाब हो गया.
अब तो बस्ती मे माशहूर है,
तेरा मेरा यह अफ़साना,
तू हैं मेरा प्यार,
और मैं तेरा दीवाना.
आँखों आखोसे सुनाई देती हैं
आँखों आखोसे सुनाई देती हैं,
जो तेरे मेरे आँखों के दरमिया हैं,
दुनिया से वो बात चुपाई जाती हैं,
जो तेरे मेरे दरमियाँ हैं.
यहा अब मेरे दिल से पूछो,
करवाटो पे रात कैसे बिताई जाती हैं,
दर-ब-दर फिरनेवाले क्या जाने,
शब से भी प्यास बुझाई जाती हैं.
काग़ज़ को ला कर दरिया मैं फेकदो,
हम दिखा देंगे तूफ़ानो से कैसे शर्त लगाई जाती हैं,
दूर रहकर हम भी दिखा देंगे,
आग से कैसे आग बुझाई जाती हैं.
जो तेरे मेरे आँखों के दरमिया हैं,
दुनिया से वो बात चुपाई जाती हैं,
जो तेरे मेरे दरमियाँ हैं.
यहा अब मेरे दिल से पूछो,
करवाटो पे रात कैसे बिताई जाती हैं,
दर-ब-दर फिरनेवाले क्या जाने,
शब से भी प्यास बुझाई जाती हैं.
काग़ज़ को ला कर दरिया मैं फेकदो,
हम दिखा देंगे तूफ़ानो से कैसे शर्त लगाई जाती हैं,
दूर रहकर हम भी दिखा देंगे,
आग से कैसे आग बुझाई जाती हैं.
कैसे भूल सकता हू वो पहली मुलाक़ात
कैसे भूल सकता हू वो पहली मुलाक़ात,
जब चाँद बेनकाब हो इस धरती पे आया था,
सुर्ख लाबोसे मुझे देख वो मुस्कुराया था,
फिर ना जाने क्या सोच खुदसे शरमाया था
जब चाँद बेनकाब हो इस धरती पे आया था,
सुर्ख लाबोसे मुझे देख वो मुस्कुराया था,
फिर ना जाने क्या सोच खुदसे शरमाया था
Monday, May 28, 2012
चुप हू
तू हैं नादान इसीलिए चुप हू,
दर्द ही दर्द दिए है फिर भी चुप हू,
चाहता तो हू कह दू सबको दास्तान-ए-ज़िंदगी अपनी,
लेना पड़ेगा तेरा नाम इसीलिए चुप हू
दर्द ही दर्द दिए है फिर भी चुप हू,
चाहता तो हू कह दू सबको दास्तान-ए-ज़िंदगी अपनी,
लेना पड़ेगा तेरा नाम इसीलिए चुप हू
ए ज़िंदगी अब बस्स कर
रोज़ मिलती है मुझसे,
फिर भी इतनी अजनबी है क्यू,
ए ज़िंदगी अब बस्स कर,
तू रोज़ रंग बदलती हैं क्यू
फिर भी इतनी अजनबी है क्यू,
ए ज़िंदगी अब बस्स कर,
तू रोज़ रंग बदलती हैं क्यू
उनके हर शोखी अदाओ ने
उनके हर शोखी अदाओ ने
हमे पिघल जाने को कहा,
मैं था जो संभलता रहा और वो थे
जो हम पर इल्ज़ाम पे इल्ज़ाम लगा गये
हमे पिघल जाने को कहा,
मैं था जो संभलता रहा और वो थे
जो हम पर इल्ज़ाम पे इल्ज़ाम लगा गये
सोचा हैं एक
सोचा हैं एक दिन ऐसा भी होगा,
मेरे हाथों मैं आपका हाथ होगा,
फलक से चाँद तारे तोड़ रहे होंगे हम
और मेरा महबूब मेरे साथ होगा
मेरे हाथों मैं आपका हाथ होगा,
फलक से चाँद तारे तोड़ रहे होंगे हम
और मेरा महबूब मेरे साथ होगा
हमारे पास क्या रहता
वो अश्र बहा देते तो हमारे पास क्या रहता,
वी जो होसला छोड़ देते तो हमारे पास क्या रहता,
उनके पास तो अब ज़रियाही नही हैं हमतक पहुचनेक़ा,
अगर हम आपको अपना पता भी दे देते तो हमारे पास क्या रहता
वी जो होसला छोड़ देते तो हमारे पास क्या रहता,
उनके पास तो अब ज़रियाही नही हैं हमतक पहुचनेक़ा,
अगर हम आपको अपना पता भी दे देते तो हमारे पास क्या रहता
मैने अभिभि हार नही मानी हैं
दिल मैं तूफान हैं,
और आँखों मैं सुलगता पानी हैं,
ए ज़िंदगी एक बार फिरसे कान खोलके सुनले,
मैने अभिभि हार नही मानी हैं
और आँखों मैं सुलगता पानी हैं,
ए ज़िंदगी एक बार फिरसे कान खोलके सुनले,
मैने अभिभि हार नही मानी हैं
आपकी ससों पर बहुतोका उधर बाकी हैं
प्यार श्यार मैं किसी एक के लिए अपनी ज़िंदगी देना
तो कुदरत के खिलाफ वाडा खिलाफी हैं,
माना आसान हैं यह सब कहना पर
आपकी ससों पर बहुतोका उधर बाकी हैं
तो कुदरत के खिलाफ वाडा खिलाफी हैं,
माना आसान हैं यह सब कहना पर
आपकी ससों पर बहुतोका उधर बाकी हैं
इश्क़ तो
इश्क़ तो दो दिलों की बात होती हैं,
भगवान की दी हुई एक सौगात होती हैं,
यह सब हमारे समझसे परे हैं,
क्यूकी यह इश्क़ जो है एक काशिफ
और आजकल ये काशिफ कहा आम होते है
भगवान की दी हुई एक सौगात होती हैं,
यह सब हमारे समझसे परे हैं,
क्यूकी यह इश्क़ जो है एक काशिफ
और आजकल ये काशिफ कहा आम होते है
राज़
राज़ ये नही है की हमने किसीसे प्यार किया,
राज़ ये है के चाहकर भी कभी ये इज़हार ना किया,
वो तो इतने शोखी है फिरभी समझनासके,
हमारे साए ने तो कबका इकरार था कर दिया.
राज़ ये है के चाहकर भी कभी ये इज़हार ना किया,
वो तो इतने शोखी है फिरभी समझनासके,
हमारे साए ने तो कबका इकरार था कर दिया.
Wednesday, May 23, 2012
यहा तो लुटेरे ही प्यार का नकाब ओढ़के घूमते हैं
आपके किससे अब अफ़सानो मैं अछे लगते हैं,
जो दिल के शाही से निकालकर,
यादो के पन्नो पर रंग भरते हैं,
इश्क़ की गलियों मैं यह सितम हैं दोस्तों,
पल भर के साथ के बाद,
वो मूह फिराए बैठते हैं,
अब वो वफ़ा कहा ढूंदे हम,
यहा तो लुटेरे ही प्यार का नकाब ओढ़के घूमते हैं
जो दिल के शाही से निकालकर,
यादो के पन्नो पर रंग भरते हैं,
इश्क़ की गलियों मैं यह सितम हैं दोस्तों,
पल भर के साथ के बाद,
वो मूह फिराए बैठते हैं,
अब वो वफ़ा कहा ढूंदे हम,
यहा तो लुटेरे ही प्यार का नकाब ओढ़के घूमते हैं
इश्क़
जब से आपने मेरी
इस दुनिया मैं कदम रखा हैं,
ना जाने कितनोने हमे गिरगिट
की तरह बदलते देखा हैं
कोनसी आँखों मैं पलते हैं,
किनसे चुप कर मिलते हैं,
कभी फूलों की महेक बन आहोश मैं भरते हैं,
कभी रुसवाई की आग मैं तल मल जलते हैं,
कभी आपकी अदा का चोरी चोरी सजदा करते हैं,
कभी आपकी सासो पे सारी रात करवटे बदलते हैं,
यू तो यह इश्क़ नई आसान सबके सब कहते हैं,
पर कौन हैं जो इश्स नगर से बच कर निकलते हैं,
वैसे ना जाने इस दुनिया मैं कितने आए कितने गये,
पर इस इश्क़ को जिसने तराशा हैं
उसका तह-ए-दिल से शुक्रिया अदा हम करते हैं.
इस दुनिया मैं कदम रखा हैं,
ना जाने कितनोने हमे गिरगिट
की तरह बदलते देखा हैं
कोनसी आँखों मैं पलते हैं,
किनसे चुप कर मिलते हैं,
कभी फूलों की महेक बन आहोश मैं भरते हैं,
कभी रुसवाई की आग मैं तल मल जलते हैं,
कभी आपकी अदा का चोरी चोरी सजदा करते हैं,
कभी आपकी सासो पे सारी रात करवटे बदलते हैं,
यू तो यह इश्क़ नई आसान सबके सब कहते हैं,
पर कौन हैं जो इश्स नगर से बच कर निकलते हैं,
वैसे ना जाने इस दुनिया मैं कितने आए कितने गये,
पर इस इश्क़ को जिसने तराशा हैं
उसका तह-ए-दिल से शुक्रिया अदा हम करते हैं.
Tuesday, May 22, 2012
हम तो उन्हे हमदर्द समझते थे
हम तो उन्हे हमदर्द समझते थे
पता ही नही चला
कब वे दर्द की जगह
हम मैं उतर गये
पता ही नही चला
कब वे दर्द की जगह
हम मैं उतर गये
उनकी खुशी के लिए हम तो मरते गये
प्यार उन्हे हम इस्स कदर करते गये
जो जख्म दिये उन सबको भरते गये
उन्होने तो थाम ही लिया था हमे तो मार ही डालेंगे
उनकी खुशी के लिए हम तो मरते गये
जो जख्म दिये उन सबको भरते गये
उन्होने तो थाम ही लिया था हमे तो मार ही डालेंगे
उनकी खुशी के लिए हम तो मरते गये
फिरसे जीना सीखा दो मूज़े
एक तुम क्या मिले,
ना जाने क्या हो गया,
तुम्हे देख ऐसा लगता हैं,
जैसे जिए हमे अरसा हो गया
ऐसे कैसे कहूँ के,
अब अपना बनलो मुझे,
इस्स दुनिया से छूपाकर,
फिरसे जीना सीखा दो मूज़े
ना जाने क्या हो गया,
तुम्हे देख ऐसा लगता हैं,
जैसे जिए हमे अरसा हो गया
ऐसे कैसे कहूँ के,
अब अपना बनलो मुझे,
इस्स दुनिया से छूपाकर,
फिरसे जीना सीखा दो मूज़े
Monday, May 14, 2012
हम तो उन्हे खुलकर भी चाह लेते
हम तो उन्हे खुलकर भी चाह लेते,
उस जहर को ल्ख्त-ए-जिगर मे उतार देते
पर उस बेवफा का ईरादा तो कुछ और ही था
वो तो हम थे जो उनके दिल से दिल लगा बैठे
उस जहर को ल्ख्त-ए-जिगर मे उतार देते
पर उस बेवफा का ईरादा तो कुछ और ही था
वो तो हम थे जो उनके दिल से दिल लगा बैठे
खाबो का एक रास्ता
खाबो का एक रास्ता तू रोज मुझे दिखती थी
वफ़ा और मोहब्बत के किस्से तू रोज मुझे सुनाती थी
वो प्यार, वफ़ा और खाबो के रास्तो पर तो आज भी मैं चलता हू
कभी तो किसी मोड़ पर मिलोगे हमसे ये खाववीश मैं आगे बढ़ता हू
वफ़ा और मोहब्बत के किस्से तू रोज मुझे सुनाती थी
वो प्यार, वफ़ा और खाबो के रास्तो पर तो आज भी मैं चलता हू
कभी तो किसी मोड़ पर मिलोगे हमसे ये खाववीश मैं आगे बढ़ता हू
वो कल कातिल-ए-आम हैं
प्यार मे आज,
किसको किस पर ऐतबार हैं,
जिसको देखकर जीते हो अभी,
वो कल कातिल-ए-आम हैं
किसको किस पर ऐतबार हैं,
जिसको देखकर जीते हो अभी,
वो कल कातिल-ए-आम हैं
उस वक़्त तो ना समझ पाया था मैं
उस वक़्त तो ना समझ पाया था मैं
उसे आपकी भाषा मे क्या केह्ते हैं
मैं जो आउ वाउ कर रहा था ना मम्मा
आप तो उसे प्यार केहते हैं
उसे आपकी भाषा मे क्या केह्ते हैं
मैं जो आउ वाउ कर रहा था ना मम्मा
आप तो उसे प्यार केहते हैं
Friday, May 11, 2012
ये एहसास तो ज़िदगी तक ही हैं
ये एहसास तो ज़िदगी तक ही हैं,
क्या पता कोई मरता हैं,
वहा भी किसी के लिए.
क्या पता कोई मरता हैं,
वहा भी किसी के लिए.
दिल की बात
वैसे तो हम भी निकले थे घरसे,
बताने आपको हमारे दिल की बात,
कम्बक्त ईस ट्रॅफिक जॅम ने,
हमारा ईरादा बदल दिया.
बताने आपको हमारे दिल की बात,
कम्बक्त ईस ट्रॅफिक जॅम ने,
हमारा ईरादा बदल दिया.
आपको कितना याद करते है
मत पुचो के हम,
आपको कितना याद करते है,
बसस ईतना ही कहेंगे,
जितना हम आपकी हर एक सास के लीए
ख़ुदसे फरियाद करते है.
आपको कितना याद करते है,
बसस ईतना ही कहेंगे,
जितना हम आपकी हर एक सास के लीए
ख़ुदसे फरियाद करते है.
फिरसे ना सिमट पाओगे मुझे
फिरसे ना सिमट पाओगे मुझे
अगर अबके जो बिखर जाउंगा
मैं आपकी ज़ूलफे नही हू
जो हरबार फिरसे सवर जाउंगा
अगर अबके जो बिखर जाउंगा
मैं आपकी ज़ूलफे नही हू
जो हरबार फिरसे सवर जाउंगा
Subscribe to:
Comments (Atom)