चल चलते है फिरसे वहा,
वो शोकी हवा ओ मे,
वो बादल सी घटाओ मे,
वो शबनमी राहों मे,
वो धुँद की बाहो मे.
चल वही चलते है,
दिल की धड़कन को सुनते है,
एक दूसरे का हाथ थामकर,
पल पल को महसूस करते है.
चल चलते है वहा
जहा बादल छूकर गुजरा था,
जहा बारिश हम पे बरसी थी,
बहुत सी अनकही बातें,
खामोशी की ज़ुबान से,
हमारे दिल मे उतरी थी.
चल चलते है फिरसे वही,
सेहेर-ए-मोहब्बत की ज़मीन पे,
जहा नज़र सिर्फ़ तू आती है,
जहा फ़िज़ा मे खुशबू सिर्फ़ हमारी है,
ना अपनी खबर तुम्हे कुछ होती है,
ना अपना पता मूज़े कुछ होता है.
चल चलते है वही फिरसे,
जहा दुनिया दीवारों मे क़ैद होती है,
जहा खामोशी की ज़ुबान धड़कन होती है,
जहा हक़ीक़त कोसो दूर होती है,
जहा मुहब्बत सिर्फ़ मुहब्बत होती है.
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