Wednesday, June 6, 2012

रहती हो रोजाना अब ससों मे तुम

रहती हो रोजाना अब ससों मे तुम
खाबो मे तुम ख़यालो मे तुम,
जब भी सोचते है हम कुछ लिखेगे,
लफ़्ज़ों मे आ जाते हो तुम सिर्फ़ तुम

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