Friday, June 15, 2012

धड़कने है किसी और की

धड़कने है किसी और की,
यह दिल किसी और का है,
लगता हैं मेरे बदन का
हर एक पुर्जा किसी और का हैं.

एक और हाथ हैं अंजान,
महसूस हुआ अभी जो,
हम तुम तो शायद कठपुतलिया है,
यह खेल तो किसी और का है.

यह जो पाव है मेरे
खुदा करे और किसी के ना हो,
चल रहा हूँ मैं,
और लक्ष क्या किसी और का है.

अश्को से भर रहा हूँ
मैं ज़िंदगी का सफ़र,
इतने बरस के बाद भी
यह अश्को का दरिया किसी और का है.

किस बुनियाद से ये कहें की
यह ज़ुबान हमारी है,
लज्ब शायद मेरे हो,
ल़हेजा तो किसी और का है

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