Thursday, May 31, 2012

आज कुछ तूफ़ानी होने दो

आज कुछ तूफ़ानी होने दो,
अपने काले घने ज़ुल्फोन की घटाओ से,
एक घंटा सावन होने दो,
आज कुछ तूफ़ानी होने दो.

आज कुछ तूफ़ानी होने दो,
अपने कंगन की खनक से,
आसमान से बीजूरिया गिरने दो,
आज कुछ तूफ़ानी होने दो.

आज कुछ तूफ़ानी होने दो,
अपने पायल की छमक से,
इन हवाओ मे मिट्टी की महेक को झुमने दो,
आज कुछ तूफ़ानी होने दो.

आज कुछ तूफ़ानी होने दो,
अपनी होठों की लाली से एक घुट पिलाकर,
इस समा को मधहोश होने दो,
आज कुछ तूफ़ानी होने दो.

No comments:

Post a Comment