पूनम की रात है,
चाँद भी मदहोश है,
आके थाम लो मुझे,
खो रहा मेरा होश है,
मिलन की है दस्तक,
धड़कनो की ज़ुबान है,
गा रही है ज़मीन,
सुन रहा ये जहाँ है,
गुण गुना रही है सदा,
खिल उठा समा है,
प्यासो की बस्ती मे यारो,
आज बरस उठा आसमान है.
कह रही है धरती,
कह रही ये फ़िज़ा है,
रुक जाओ इस बस्ती मे,
जो दिया ज़िंदगी का वास्ता है
mastach :)
ReplyDeleteBeautiful! :)
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