Tuesday, May 28, 2013

जाती नही आँखों से सूरत तेरी

जाती नही आँखों से सूरत तेरी,
ना जाती है दिलसे मुहब्बत तेरी,
तेरे जाने के बाद होता है हर पल ये महसूस,
हमे और भी ज़्यादा है ज़रूरत तेरी.

काश के लम्हे भर के लिए रुक जाए ये ज़मीन की गर्दिशे,
और कोई आवाज़ ना हो तुम्हारे धड़कनो के सीवा,
तू पास आए और धिरेसे कहे,
के एक पल जिया नही जाता अब तुम्हारे सीवा.

Tuesday, April 2, 2013

पाऊस

पाऊस छान पडतोय
मातिचा सुगंधही येतोय
पक्शी किलबितायेत
अण् मेघ गरजतोय
पक्श्याना, फुलांना, सगळ्यानाच
हे वातावरण भावतय
पण् या आनंदाच्या क्श्णी
मला खुप एकाकी वाटतय
आठवत पहील्यांदा आपण
याच पावसात भिजलो होतो
हातात हात घेऊन
मनसोक्त् हिंडलो होतो
या हट्टी पावसान आपल्याला
नखशिखांत भिजवल होत
कितीही भिजवल तरी
आम्ही फिरनार
आपण त्याला हिनवल होत
सोबत नाही आपण पाहून
पाऊस खुप हसतोय
त्याच हे हसन पाहून
मन् आक्रोश करतय
नकळतच माझ्या डोळ्यातही
अश्रूंची धार लागलीये
बघूया कोन जास्त वाहतय
ही चढाओढ चाललीये
बराच वेळ झाला
पऊसही आता दमलाय
माझ्या डोळ्यांचा ओलावा माञ
अजूनही वाढत चाललाय
माझ्या विरहाच दुःख पाहून
तोही मुद्दाम हरला
माझा निरोप तुला द्यायला
तुझ्याकडे चालला
येइल तुझ्याकडे तो आता
मनसोक्त् भिजून बघ
मनापासून त्यातच
मला एकदा शोधून बघ

Monday, January 28, 2013

तेरे इश्क़ की मेरे दिल मे हो ऐसी लगन

तेरे इश्क़ की मेरे दिल मे हो ऐसी लगन,
रूह मेरी तड़पति रहे, दिल मेरा मचलता रहे,
ये ज़िंदगी जीने का आए मज़ा,
जब हर एक सास मेरी, तेरी मोहब्बत पे चलती रहे

Tuesday, August 14, 2012

चल चलते है फिरसे वहा

चल चलते है फिरसे वहा,
वो शोकी हवा ओ मे,
वो बादल सी घटाओ मे,
वो शबनमी राहों मे,
वो धुँद की बाहो मे.

चल वही चलते है,
दिल की धड़कन को सुनते है,
एक दूसरे का हाथ थामकर,
पल पल को महसूस करते है.

चल चलते है वहा
जहा बादल छूकर गुजरा था,
जहा बारिश हम पे बरसी थी,
बहुत सी अनकही बातें,
खामोशी की ज़ुबान से,
हमारे दिल मे उतरी थी.

चल चलते है फिरसे वही,
सेहेर-ए-मोहब्बत की ज़मीन पे,
जहा नज़र सिर्फ़ तू आती है,
जहा फ़िज़ा मे खुशबू सिर्फ़ हमारी है,
ना अपनी खबर तुम्हे कुछ होती है,
ना अपना पता मूज़े कुछ होता है.

चल चलते है वही फिरसे,
जहा दुनिया दीवारों मे क़ैद होती है,
जहा खामोशी की ज़ुबान धड़कन होती है,
जहा हक़ीक़त कोसो दूर होती है,
जहा मुहब्बत सिर्फ़ मुहब्बत होती है.

Thursday, August 9, 2012

कल मैने उसकी एक झलक देखी

कल मैने उसकी एक झलक देखी,
बीच राहो मे कही कुछ गुनगुना रही थी,
देख रहा था मैं उसको इधर उधर,
मगर वो लूका छिपी खेल मुस्कुरा रही थी,

आख़िर मिल ही गयी कुछ अरसे बाद,
देखा तो बाह फैलाए बुला रही थी,
हम दोनो थे खफा खफा एक दूसरे से अबतक,
कुछ मैं बता रहा था, कुछ वो बता रही थी,

सुलझा कर सब धागो को,
मिला मेरे दिल को क़रार,
मैं सवर रहा था उसकी आँखों मे,
और वो थपकी दे सुला रही थी,

जब पूछा मैने उससें,
तूने मुझे ये दर्द क्यू दिया,
वो मुस्कुराइ और बोली,
मैं ज़िंदगी हू, जीना सीखा रही थी

Thursday, August 2, 2012

यहा एक एक पल गिन गिन गुझर राहा है

यहा एक एक पल गिन गिन गुझर राहा है,
राह मे तेरे दिल तील मिल हो रहा है,
मिलने की आरजु है सनम तुझसे इतनी,
पर ये आसमान टपक टपक के मेरा रास्ता भिगो रहा है

Friday, July 27, 2012

पिना चाहु तो झेहेर नही है

पिना चाहु तो झेहेर नही है,
खोना चाहु तो शेहेर नही है,
जिना चाहु तेरे प्यार मे सनम,
तो तू हस के बोली मेरे पास समय नही है